किरन – किरन के चरन पखारन
आरती उतारन, रे मोर सोनहा बिहान,
बगराये अँजोर, छत्तीसगढ़ मां ।
मोर बिहनिया तोला अगोरत, सइघो रात पहागे
छाती पोंठ करेन हम्मन ते, ठंड़का तैं अगुवागे
तोला परघाये बर आइन, जुरमिल सबो मितान
रे मोर सोनहा बिहान,
बगराये अँजोर, छत्तीसगढ़ मां ।
दाई – ददा लइका–सियान सब, तोरेच गुन ला गाहीं
ललहूँ – पिंउरा मिंझरा सूरूज, कोन तोला टोनहाही
निकरे हस तैं कान मां खोंचे, हरियर दौना पान
रे मोर सोनहा बिहान,
बगराये अँजोर, छत्तीसगढ़ मां ।
तोर आए ले आज सिरागे, जिनगी के अँधियारी
आज हमर बर मया–दया के, खुलगे गजब दुवारी
आज हो गयेन सकला संगी, जम्मो अपन–बिरान
रे मोर सोनहा बिहान,
बगराये अँजोर, छत्तीसगढ़ मां ।
मुकुन्द कौशल